AMAN AJ

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आई नोट , भाग 44

   

    अध्याय 8
    शुरुआत में 
    भाग-3
    
    ★★★ 
    
    सुबह हो चुकी थी। लड़की को मारने के बाद लड़का डाइनिंग टेबल के पास मौजूद कुर्सी पर बैठा था। लड़की वाले कमरे का दरवाजा खुला हुआ था जहां गिटार उसके सीने के आर-पार था। लड़के के मां-बाप दोनों ही आपस में लड़ रहे थे। बाप ज्यादा गुस्से में था जबकि मां उसे समझाने की कोशिश कर रही थी।
    
   बाप बोला “यह सब बस तुम्हारी वजह से हुआ है, तुम्हारी और तुम्हारे डॉक्टर की यह परवरिश देखो अब किस हद तक आ गई। इसने मेरी बेटी को मार डाला।” 
    
   मां ने जवाब दिया “मैंने पहले ही कहा था इसे एक कमरे में बंद मत करो, अगर इसे एक ही कमरे में बंद रखोगे तो यह ऐसा ही होगा।”
    
    लड़का खामोशी से टेबल पर मौजूद फूलों की टोकरी और उसमें एक सेब के अंदर गड़े चाकू को देखता जा रहा था। उसके बगल में ही उसके मां-बाप लड़ रहे थे मगर लड़के को इसकी फिक्र नहीं थी।
    
    “जब भी कुछ घटित होता है....” लड़के की अंतरात्मा में आवाज आई “..तो उसके विपरीत कोई ना कोई प्रतिक्रिया जरूर देखने को मिलती है। न्यूटन का थर्ड लॉ ऑफ मोशन यही जानकारी तो देता है। रॉकेट आसमान में उड़ता है क्योंकि उसका फ्यूल पीछे की ओर निकल कर एक विपरीत प्रतिक्रिया करता है।”
    
    तभी लड़के का पिता गुस्से से लड़के की और आया और सेव वाली टोकरी से चाकू निकालकर लड़के के हाथ में गुढो दिया। टेबल लकड़ी का था और लड़के का हाथ टेबल के ऊपर पड़ा था, चाकू लड़के के हाथ के आर पार होता हुआ टेबल में जा गढ़ा। दृश्य फिर से स्लो मोशन में हो गए, लड़का चिल्ला पड़ा मगर स्लो मोशन के दृश्यों में कोई भी आवाज बाहर नहीं आ रही थी।
    
    “यह जो भी हुआ असहनीय था। कोई भी यह बात नहीं जान सकता जब एक चाकू हाथ की कुछ हडि्डयों को चीरता हुआ उसके आर पार होता है तो कितना दर्द होता है। बेशक यह सीने में घुसने वाले गिटार से कम होगा, मगर वहां आपका दर्द आप को शांत करता है, जबकि यहां अशांत।”
    
    पति-पत्नी की लड़ाई बढी और पति ने लड़के के हाथ में गढ़े चाकू को निकालकर पत्नी की गर्दन के दाई और मार डाला। एक बार चाकू मारने के बाद उसने तीन से चार बार और चाकू मारा। पत्नी नीचे गिर गई। पति ने फिर वहशीपन दिखाया और चाकू को गर्दन पर मारने के बाद उसके सीने पर मारने लगा। इन सब में लड़का अपने हाथ को पकड़ कर सामने के दृश्यों को चुपचाप देखता जा रहा था।
    
    “एक सोच विचार में फंसा लड़का अपने ठीक सामने भयानक से भयानक नरसंहार के दृश्य को देख सकता था। सोच विचार में फंसे लड़के के सामने अगर थर्ड वर्ल्ड वॉर भी शुरू हो जाए तब भी उसे फर्क नहीं पड़ने वाला था। रूस चीन पर मिसाइल गिरा दे, या चीन भारत पर हमला कर, एक सत्रह अट्ठारह साल के लड़के का इससे क्या लेना देना। मगर शायद, शायद वह इस बात को जरूर समझता था खुद को जिंदा कैसे रखना है।”
    
    लड़का अपनी जगह से खड़ा हुआ और कुर्सी को दोनों हाथों में पकड़ लिया। दृश्य धीमे थे तो सब कुछ धीमें धीमें हो रहा था। उसने कुर्सी को कस कर पकड़ा फिर अपने पिता की तरफ कदम बढ़ाए। पास आते ही उसने कुर्सी जोर से उसकी पीठ पर दे मारी। कुर्सी के लगते ही पिता का संतुलन बिगड़ा और वह दूसरी ओर जा गिरा। उसके हाथ का चाकू भी छूट गया।
    
    “बचाव के लिए कौन से तरीकों का इस्तेमाल करना है यह सीखने की जरूरत नहीं थी, अगर आप पहले से ही किसी का गिटार के साथ कल्याण कर चुके होते हैं, और फिर आपके सामने ही चाकू से किसी का कल्याण हो जाता है, तब आप दोनों ही तरीकों में से कोई भी तरीका इस्तेमाल कर सकते हैं।”
    
    लड़का गिरे हुए चाकू की तरफ बढ़ा। चाकू सामने से टेढा हो गया था। लड़के ने चाकू को अपने पैर के नीचे दबाया और उसे सीधा किया। सीधा करने के बाद वह अपने पिता की तरफ जाने लगा जहां उसका पिता अभी भी सर पर लगी चोट को संभाल रहा था। उसकी आंखें बंद थी और वह यह नहीं जानता था लड़का चाकू लेकर उसकी ओर आ रहा है।
    
    “एक चाकू से किसी इंसान को कितनी भयानक मौत मिल सकती हैं, मैं इस बारे में खड़े होकर सोच सकता था, लेकिन इससे सामने वाले को सावधान होने का मौका मिलने की संभावना थी। विचारों में उलझे लड़के के लिए यह काम करना किसी भी मायने में सही नहीं था, मगर पहले जहां उसे किसी की केयर नहीं थी और वह अपनी कहानी का हीरो था, वहीं अब उसे वह बुरा कर रहा है यह बताने वाला कोई नहीं था।”
    
    लड़का धीरे से अपने पिता के पास घुटनों के बल बैठा। चाकू को हवा में किया और उसे ठीक दिल वाली जगह पर ले आया। उसने एक हाथ से चाकु पकड़ रखा था जो कांप रहा था। उसने उसे दोनों ही हाथों से पकड़ लिया ताकि हाथ कांपना कम हो जाए। इसके बाद आंखें बंद की और चाकू को पिता के दिल के आर पार कर दिया। एक बार नहीं बल्कि चार से पांच बार।
    
    “दिल में अगर अंदर से छेद होता है इंसान धीरे-धीरे मौत की ओर जाता है, मगर यही छेद अगर बाहर से किया जाए तो मरने में दो से तीन मिनट लगते हैं। इंसान कुछ देर के लिए पागलों की तरह तड़पता है। फिर उसके हाथ पैर की हरकतें कम होना शुरू हो जाती है। इसके बाद, इसके बाद शायद खून की आगे सप्लाई ना होने की वजह से इंसान की मौत हो जाती है। सच में, मेरे बायों के चैप्टर इतने भी काम के नहीं थे जो मैं किसी इंसान को देख कर वह क्यों मरा इसके कारणों का पता लगा सकूं।”
    
    लड़के ने चाकू को ऐसे ही हाथ में पकडे रखा और घर से बाहर आ गया। घर के बाहर आते ही उसे एक अलग सा ही सुकून मिला। वह चिड़ियों की चहचहाहट को सुन पा रहा था। धूप के स्पर्श को अपने शरीर पर महसूस कर रहा था। ठंडी हवा उसके ऊपर नीचे होते फेफड़ों को आराम दें रही थी।
    
    “बाहरी समाज, शायद मुझे अब इसे बाहरी दुनिया का दर्जा दे देना चाहिए। या फिर बाहरी दुनिया में पनप रहे एक समाज का, या बाहरी समाज में पनप रही एक दुनिया का। कुछ भी कहा जा सकता है। 4 शब्दों को अलग-अलग तरीकों से घूमाएंगे फिराएंगे तो अलग अलग बातें ही निकल कर बाहर आएंगी। समझने वाली बात बस यह है कि यह बाहर जो भी कुछ था वह काफी मजेदार और सुकूनदायक था”
    
    तभी उसने सामने घर की तरफ देखा। वहां एक ट्रक में सामान लादकर उसे बंद किया जा रहा था। लड़की और उसका पूरा परिवार एक कार में बैठ कर वहां से जाने की तैयारी कर रहा था। यह देखते ही खुश दिखाई देने वाले लड़के के चेहरे पर दुख की लकीरे आ गई। 
    
    “मगर जरूरी नहीं, बाहरी समाज में आपको वो हर खुशी मिले जो आप चाहते हैं। खुशियां बाहरी समाज में किसी थाली के अंदर परोसे गए खाने की तरह नहीं मिलती, बल्कि उन्हें खुद जाकर थाली में परोसे गए खाने की तरह बनाना पड़ता है।”
    
    समान वाला ट्रक आगे की तरफ चला और कार उसके पीछे पीछे जाने लगी। लड़का भागा और भागते हुए कार का पिछा करने लगा। उसका हाथ इस तरह से आगे था जैसे मानो वह उसे रुकने के लिए कह रहा हो। जबकि उसके दूसरे हाथ में चाकू था जो लाल रंग के खून से सना हुआ था। 
    
    “आप लोग सोच रहे होंगे यह सब क्या है, ट्रक के पीछे भागता लड़का, दो लोगों को मारता लड़का, इन सब को दिखाने का औचित्य क्या। इन सब को दिखाकर आखिर मैं साबित क्या करना चाहता हूं। मगर कहानी की शुरुआत तो यही से होती है ना, मानवी को पाने की तलाश, या मैं कहूं उस लड़की को पाने की तलाश है जिसने मुझे बाहरी समाज में आने के लिए मजबूर किया।”
    
    काफी देर भागने के बाद लड़का थका और थककर वहीं सड़क के बीचो बीच बैठ गया। वह रो रहा था। खुन वाले हाथ से अपने नाक को साफ कर रहा था।
    
    “हर एक कहानी की शुरुआत किसी ना किसी मकसद से होती है, एक ऐसे मकसद से जिसे पाने के लिए हीरो किसी रास्ते पर चलता है, उसे कैसा व्यवहार करना है कैसा नहीं, वो इसका फैसला करता है, बाहरी समाज की दुनिया में उसे किस तरह से रहना है वो इसका फैसला करता है। इस पूरे सफर में तरह तरह की चीजों के बारे पता चलता है। पता चलता है समाज कौन सी चीज को स्वीकार करता है और कौन सी चीज को नहीं। पता चलता है समाज में क्या करने पर आपको कौन सी सजा मिलती है। समाज, समाज काफी कुछ सिखाता है। इतना कुछ की एक कहानी में हिरो अपने लिए सुरक्षित रास्तों का चयन कर आगे बढ़ सकता है।”
    
    लड़का अपनी जगह से खड़ा हुआ और अपने आंसू और नाक साफ करते हुए सामने की खाली पड़ी सड़क को देखने लगा। खाली पड़ी सड़क को देखने के बाद उसने चाकू फेंका और धीरे-धीरे सामने की ओर चलने लगा। 
    
    “मेरा रास्ता मुझे किस मंजिल की ओर ले जाने वाला था मैं नहीं जानता था। मगर मुझे यह जरूर पता था कि मुझे हासिल क्या करना था। मुझे अपनी वो उम्मीद हासिल करनी थी जिसने मुझे एक कमरे की चारदीवारी से बाहर निकाला, मुझे अपनी वो उम्मीद हासिल करनी थी जिसने मुझे घर से बाहर निकाला, मुझे अपनी वो उम्मीद हासिल करनी थी जिसकी वजह से मैंने धुप के स्पर्श को महसूस किया, मुझे अपनी वो उम्मीद हासिल करनी थी जिसने मेरे फेफड़ों को आराम दिया। मुझे मेरे घर के बाहर रहने वाली लड़की को हासिल करना था।”
    
    वह लड़का धीरे धीरे सड़क पर दौड़ने लगा। अपने पूरे आत्मविश्वास, अपने पूरे जोश, अपनी पूरी ताकत के साथ। जैसे वो इसी सड़क पर दोड़कर दुनिया जीतने वाला था। 
    
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